Shkei Neurocare Centre New Delhi: भूत -प्रेत, पागलपन, मानसिक रोग, मिर्गी का दौरा, दिमाग की मिलती जुलती एक तरह की बीमारियां हैं। दिमाग के उच्च स्थान पर जहां से हमारे सोचने, फैसला लेने, कल्पना करने की क्षमता का नियंत्रण होता है, उस स्थान पर जब गड़बड़ी होती है तो, दिमाग के उस ख़ास स्थान के काम के हिसाब से भूत-प्रेत, पागलपन, मानसिक रोग, मिर्गी का दौरा जैसी बीमारियां होती हैं।
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पश्चिमी देशों में नहीं है ऐसी समस्या- Dr Manish Kumar Neurosurgeon Delhi
एक तरफ जहां पश्चिमी देशों में इन बीमारियों का आधुनिक वैज्ञानिक समझ विकसित किया गया, तो दूसरी ओर हमारे देश में ऐसी बीमारियों को झाड़ फूंक, जादू और तंत्र मंत्र या झोला छाप डॉक्टर के सहारे छोड़ दिया गया।
इन बीमारियों को समझने के लिए रोगियों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की जरूरत होती है, जो हमारे देश में प्रशिक्षित डॉक्टर की कमी के कारण नहीं हो पाता है और उसका नतीजा होता है कि लोग झाड़ फूंक, जादू और तंत्र मंत्र या झोला छाप के पास जाने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
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इसके कारण एक तरफ बीमार व्यक्ति परेशान रहते हैं, उनका और उनके रिश्तेदारों का शोषण होता है तो दूसरी ओर झाड़ फूंक, जादू और तंत्र मंत्र करने वाले व्यक्ति या झोला छाप अपने को भगवान सिद्ध कर देते हैं और कभी कभी समाज में खतरनाक स्थिति को पैदा कर देते हैं।
झाड़ फूंक, जादू और तंत्र मंत्र करने वाले व्यक्ति या झोला छाप अप्रशिक्षित किंतु अच्छे मनोवैज्ञानिक होते हैं और उनका क्रिया कलाप अनियंत्रित होता है। वे अपनी सफलता का उपयोग अपनी सामाजिक शक्ति बढ़ाने और लोगों का शोषण करने में लगाते हैं और समाज पर खतरनाक प्रभाव डालते हैं। साथ ही स्पष्टता और पारदर्शिता के साथ ही किसी भी प्रकार के रेगुलेशन या सरकारी-सामजिक नियंत्रण के अभाव में ये लोग सुपर पावर हो जाते हैं।
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साथ ही एक तरफ झाड़ फूंक, जादू और तंत्र मंत्र करने वाले व्यक्ति या झोला छाप हमारे देश समाज, शासन-प्रशासन और सरकार में आम जनता के स्वास्थ्य के प्रति उदासीनता के कारण पनपे हैं, तो दूसरी ओर शायद ये सबसे असरदार स्वास्थ्य कर्मी हैं।
वर्त्तमान सामाजिक परिस्थितियों में इनके काम के महत्त्व को नजर अंदाज करने और इनके कार्य और कार्य प्रणाली के कारण समाज में बहुत सारी परेशानियां होती है और कभी कभी खतरनाक अमानवीय स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
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अब समझने की बात यह है क़ि इन बीमारियों को सबसे पहले बीमारी की तरह समझना चाहिए और बीमार व्यक्ति के प्रति दया या घृणा का नहीं बल्कि सहानुभूति का भाव रखना चाहिए। साथ ही उनका ख्याल रखना चाहिए।
इसके अलावा ये बेहोशी की हालत में अपना ख्याल नहीं रख सकते हैं और इनके आस पास के लोगों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। होश में रहते हुए भी ये ऐसे विचार रख सकते हैं, जो इनके लिए और इनके आस पास के लोगों के लिए खतरनाक स्थिति उत्पन्न कर सकते हैं और खतरा ला सकते हैं।
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स्पष्टता और पारदर्शिता के साथ बीमार व्यक्ति और उनके रिश्तेदारों को बीमारी के बारे में जानकारी देनी चाहिए। उनको परेशान करने या उनका शोषण करने के किसी भी संभावना से उन्हें बचाया जाना चाहिए। साथ ही दवाओं और शल्य चिकित्सा का यथा संभव अधिक से अधिक उपयोग होना चाहिए जिससे जल्दी और सटीक इलाज़ हो सके और प्रत्यक्ष फ़ायदा हो।
साथ ही इसकी जानकारी समाज के हर व्यक्ति को होनी चाहिए कि भूत-प्रेत, पागलपन, मानसिक रोग, मिर्गी का दौरा, दिमाग की मिलती जुलती एक तरह की बीमारियां हैं और इनका मनोवैज्ञानिक तरीकों के अलावे दवाओं और शल्य चिकित्सा से सटीक इलाज संभव है। लोग सुविधाओं के अभाव में भटकने और परेशान होने से बचने के लिए सही जानकारी ही उपाय है।
प्रिय पाठकों यदि आप इस तरह कि मिलती जुलती समस्या से आप परेशान है, तो आप आज ही इस दिए गए पते पर न्यूरोसर्जन डॉ मनीष कुमार (Dr Manish Kumar Neurosurgeon Delhi) से दिखला सकते है, जिसका क्लिनिक का पता है:-
SHKEI NEUROCARE CENTRE
465 SFS FLATS DDA pocket one sector-9 Dwarka
New Delhi- 110077
9810325181, 011 35724416, 01135716020
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